जनजातीय हिजला महोत्सव में दिखा संस्कृति और संगीत का संगम
दुमका, 21 फ़रवरी (हि.स.)।मयूराक्षी नदी के तट पर 21 से 28 फरवरी तक आयोजित होने वाले राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव का शुक्रवार को शुभारंभ हुआ। उद्घाटन से पूर्व उल्लास जुलूस निकाला गया।इसमें काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग परंपरागत परिधान पहनकर
मेला का उद्घाटन के अवसर पर निकला उल्लास जुलूस, नृत्य-संगीत प्रस्तुत करते कलाकार, उद्घाटन करते ग्राम प्रधान


दुमका, 21 फ़रवरी (हि.स.)।मयूराक्षी नदी के तट पर 21 से 28 फरवरी तक आयोजित होने वाले राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव का शुक्रवार को शुभारंभ हुआ। उद्घाटन से पूर्व उल्लास जुलूस निकाला गया।इसमें काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग परंपरागत परिधान पहनकर पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ शरीक हुए।

महोत्सव की शुरुआत से पूर्व हिजला मेला परिसर में स्थित मांझी थान में विधिवत पूजा अर्चना हुई। स्थानीय ग्राम प्रधान ने फीता काटकर मेले का उदघाटन किया। इसके बाद प्रशिक्षु एसडीओ अभिनव प्रकाश ने मंच के समीप ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मेले के उद्घाटन सत्र में विभिन्न विद्यालयों के छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। इसके साथ ही छऊ नृत्य और नटवा नृत्य भी पेश किए गए। यह मेला जनजातीय समाज के सांस्कृतिक संकुल की तरह है। इसमें सिंगा-सकवा, मांदर और मदानभेरी जैसे परंपरागत वाद्ययंत्र की गूंज तो सुनने को मिलती ही है। झारखंडी लोक संस्कृति के अलावा अन्य प्रांतों के कलाकार भी कलाओं का प्रदर्शन करने पहुंचे हैं।

इस अवसर पर डीडीसी अभिजीत सिन्हा ने कहा कि इस मेले में यहां की संस्कृति,लोकसंगीत की अदभुत झलक देखने को मिलती है। संथाल परगना की संस्कृति, खानपान, नृत्य, लोकसंगीत सहित जनजातीय समाज से जुड़ी कई जानकारियों का यह मेला संगम है। पूरे मेला अवधि में संताल परगना की कला संस्कृति की झलक, नवीन कृषि तकनीक देखने को मिलेगी, जबकि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराने का यह बड़ा मंच साबित होगा।

उन्होंने कहा कि इस मेले के आयोजन का इंतजार यहां के लोगों के द्वारा पूरे वर्ष किया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोग इस मेले में आएं एवं यहां के गौरवशाली संस्कृति को देखें यही हमारा प्रयास है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार