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जालौन, 20 फ़रवरी (हि.स.)। 33 साल पहले सहायक अध्यापक से हुई मारपीट और लूट के मामले में दोष सिद्ध होने पर न्यायाधीश ने दाे काे सात- सात साल की सजा सुनाई है और 65 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
बता दें कि आटा थाना क्षेत्र के पिपराया निवासी बलवान सिंह ने 21 फरवरी 1992 में उरई कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि कुरहना आलमगीर में प्राइमरी स्कूल में अध्यापक के पद पर कार्यरत है। 21 फरवरी 1992 को दिन में कुरहना आलमगीर से पढ़ाकर अपने घर लौट रहा था। रास्ते में इटौरा पुलिया के अंदर प्रताप सिंह भानसिंह मुकुट सिंह महा सिंह निकले और इन लोगों ने उसके साथ लाठी और बल्लम से मारपीट शुरू कर दी। चोट लगते ही पीड़ित लहूलुहान हो गया और उक्त लोगों ने उसके दो साै रूपये हाथ से घड़ी और साइकिल छुड़ा ली मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने ललकारा तो उक्त लोग मौके से भाग गए पुलिस ने लूट सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर चारों लोगो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में एक जुलाई 2011 को चार्जशीट दाखिल कर दी थी। ट्रायल के दौरान प्रताप सिंह और महा सिंह की मृत्यु हो गई थी जबकि मुकुट सिंह और भान सिंह के खिलाफ ट्रायल जारी था। 33 वर्ष पुराने मामले में गुरुवार को डकैती कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई जिसमें दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के बीच गवाहों और सबूतों के आधार पर विशेष न्यायाधीश डकैती कोर्ट डॉ अवनीश कुमार ने लूट में मुकुट सिंह और भान सिंह को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विशाल कुमार वर्मा