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जम्मू, 20 फ़रवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने भाजपा पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने में विफल रहने पर जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है जबकि उसने जम्मू में राज्य का दर्जा बहाल करने के वादे पर भारी चुनावी जीत हासिल की थी। कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा, पूर्व मंत्री योगेश साहनी, वेद महाजन और नीरज गुप्ता के साथ पीसीसी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कर्रा ने राज्य के मुद्दे पर भाजपा की चुप्पी की आलोचना की। उन्होंने प्रशासन की भी आलोचना की और कहा कि चार महीने से अधिक समय से निर्वाचित सरकार होने के बावजूद कुछ अधिकारी निरंकुश और लोकतंत्र विरोधी मानसिकता के साथ काम करना जारी रखते हैं।
कर्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उधमपुर, पुंछ, राजौरी, रामबन, डोडा और किश्तवाड़ में कांग्रेस के चल रहे अभियान के दौरान राज्य के दर्जे की मांग को भारी समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा न दिए जाने से व्यापक आक्रोश पैदा हुआ है। लोगों को लगता है कि पर्याप्त शक्तियों के अभाव के कारण सरकार से उनकी अपेक्षाएँ पूरी नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने दैनिक वेतनभोगी, ज़रूरतमंद कर्मचारियों, एनएचएम, आंगनवाड़ी, एसपीओ और डेटा ऑपरेटरों के आकस्मिक, तदर्थ और संविदा कर्मचारियों की दुर्दशा के बारे में चिंता जताई जो नियमितीकरण में देरी और नौकरी की सुरक्षा की कमी के कारण लगातार पीड़ित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भर्ती अनिश्चित होने के कारण युवा सरकारी नौकरियों के लिए अधिक उम्र के हो रहे हैं।
किश्तवाड़ में हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए कर्रा ने पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग करने पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की कथित चेतावनी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोगों की वास्तविक शिकायतों को दूर करने के बजाय उनकी आवाज को दबाना अस्वीकार्य है। उन्होंने कांग्रेस को बाहरी कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित करने की अनुमति न देने के लिए प्रशासन की आलोचना की और सवाल किया कि क्या यह अधिकारियों की निरंकुश मानसिकता के कारण था या शीर्ष से निर्देश था।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा