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जम्मू, 20 फ़रवरी (हि.स.)। श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय (एसएमवीडीयू) के दो अंतिम वर्ष के वास्तुकला छात्रों ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), पटना द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक वास्तुकला सम्मेलन में महत्वपूर्ण छाप छोड़ी। यह सम्मेलन बीसीई-एनआईटी पटना शताब्दी वर्ष समारोह (1924-2024) के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था।
इस मौके पर प्रज्ञा जोगदान ने अपना शोध पत्र पवित्र ज्यामिति का पुनरीक्षण: पैरामीट्रिक और धार्मिक वास्तुकला के बीच संवाद प्रस्तुत किया, जिसमें पैरामीट्रिक डिजाइन और आध्यात्मिक प्रतीकवाद के प्रतिच्छेदन पर गहन चर्चा की गई। उनके अध्ययन ने प्रदर्शित किया कि कैसे कम्प्यूटेशनल तकनीकें पवित्र मूल्यों को संरक्षित करते हुए और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देते हुए पर्यावरण प्रदर्शन को बढ़ा सकती हैं। वहीं रेहा शिव भारती ने पवित्र स्थानों में बायोफिलिया: प्रकृति और आध्यात्मिकता के बीच सामंजस्य पर अपना शोध प्रदर्शित किया जिसमें सांस्कृतिक संवेदनशीलता, सामुदायिक भागीदारी और समग्र कल्याण को बढ़ाने के लिए पूजा स्थलों में प्रकृति के एकीकरण पर जोर दिया गया।
दोनों छात्रों ने स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड लैंडस्केप डिज़ाइन के सहायक प्रोफेसर, विनोद कुमार के मार्गदर्शन में अपना शोध किया। उनके उत्कृष्ट कार्य ने उन्हें अपने शोध पत्रों को सहकर्मी-समीक्षित पत्रिका में प्रकाशित करने का अवसर दिया है जिससे इस क्षेत्र में उनके अकादमिक योगदान को और मजबूती मिली है। एसएमवीडीयू के कुलपति प्रो. प्रगति कुमार और स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड लैंडस्केप डिज़ाइन के प्रमुख अभिनेय गुप्ता ने संकाय सदस्यों के साथ मिलकर छात्रों की उपलब्धि की सराहना की। उनकी सफलता अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता और वास्तुकला के उभरते परिदृश्य में सार्थक योगदान देने की इसके छात्रों की क्षमता को रेखांकित करती है।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा