Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
कत्लखानों के स्थान पर गो-अभयारण्य स्थापित किए जाएँ
महाकुम्भनगर,20 फरवरी (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद ने गौहत्या रोकने के लिए केन्द्रीय स्तर पर कठोर कानून बनाने की मांग की है।
महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित गौरक्षा सम्मेलन में गौसंरक्षण, गौवंश संवर्द्धन और गोचर भूमि की रक्षा का संकल्प लिया गया। विहिप के गौरक्षा सम्मेलन में गाय को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर घोषित करते हुए गोपाष्टमी को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने व भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण संवर्द्धन हेतु गो-संवर्द्धन मंत्रालय की स्थापना करने की मांग की गई।
इसके अलावा गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर गोचर प्राधिकरण का गठन करने, कत्लखानों के स्थान पर गौ-अभयारण्य स्थापित करने व मांस निर्यात पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने की मांग की गई। इसी तरह जेलों में गौशालाएँ खोलने और गौवंश संरक्षण एवं संवर्धन को विद्यालय एवं महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग विहिप ने केन्द्र व प्रदेश सरकारों से की है। गौरक्षा विभाग के अखिल भारतीय विधि प्रमुख शशांक शेखर ने गोरक्षा का प्रस्ताव रखा और नन्दिनी भोजराज और लाल बहादुर सिंह ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया।
विश्व हिन्दू परिषद गोरक्षा विभाग की ओर से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत कृषि प्रधान देश है और गोधन इसकी आत्मा है। गौसंरक्षण एवं संवर्द्धन केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संतुलन, जैव विविधता, जैविक कृषि और सांस्कृतिक विरासत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह भारत की सनातन संस्कृति, आध्यात्मिक परंपरा और राष्ट्रधर्म का महानतम संगम है। इस महाकुंभ के शुभ अवसर, जब भारत अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है, हमारी सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने और राष्ट्र की गौरवशाली विरासत को पुनस्थापित करने का पावन क्षण है।
इस अवसर पर विहिप के संरक्षक दिनेशचन्द्र, गोरक्षा विभाग के संरक्षक हुकुमचंद सावला , ठाकुर गुरु प्रसाद, डॉ माधवी गोस्वामी,नरेश कुमार सिंह, भगत सिंह व पूरन सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन