51वें खजुराहो नृत्य समारोह का हुआ शुभारंभ, वृहद शास्त्रीय नृत्य मैराथन गिनीज विश्व रिकॉर्ड से बढ़ेगा नृत्य साधकों का मानः मुख्यमंत्री डॉ यादव
-देश की संस्कृति और नृत्यसाधको के लिए गौरव का क्षण -बुंदेलखंड की धरती पावन और पवित्र -24 घंटे 9 मिनट 26 सेकंड तक 139 नृत्य कलाकारों द्वारा वृहद शास्‍त्रीय नृत्‍य मैराथन से बना गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड -पहले दिन कथकली, मोहिनीअट्टम और ओडिसी नृत्य का सौ
51वें खजुराहो नृत्य समारोह का हुआ शुभारंभ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खजुराहो में 51वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।3


51वें खजुराहो नृत्य समारोह का हुआ शुभारंभ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खजुराहो में 51वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।2


51वें खजुराहो नृत्य समारोह का हुआ शुभारंभ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खजुराहो में 51वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।


-देश की संस्कृति और नृत्यसाधको के लिए गौरव का क्षण

-बुंदेलखंड की धरती पावन और पवित्र

-24 घंटे 9 मिनट 26 सेकंड तक 139 नृत्य कलाकारों द्वारा वृहद शास्‍त्रीय नृत्‍य मैराथन से बना गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड

-पहले दिन कथकली, मोहिनीअट्टम और ओडिसी नृत्य का सौंदर्य

-राज्य रूपंकर कला पुरस्कार 2024-25

-आदिवर्त संग्रहालय में पांच सांस्कृतिक जनपदों की सौगात

भोपाल, 20 फरवरी (हि.स.)। ईश्वर की साधना को समर्पित वृहद शास्त्रीय नृत्य मैराथन गिनीज विश्व रिकॉर्ड से नृत्य साधकों का मान बढ़ेगा। यह

देश की संस्कृति और नृत्यसाधकों के लिए गौरव का क्षण है। सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और विश्व पटल पर अंकित करने का यह सर्वोत्तम साधन है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव खजुराहो में 51वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गिनीज विश्व रिकॉर्ड से पूरा विश्व भारत की विविध और समृद्ध संस्कृति से प्रकाशमान होगा। 24 घंटे 9 मिनट 26 सेकंड तक 139 नृत्य कलाकारों की अविरल और साधना से बना विश्व रिकॉर्ड न सिर्फ कला साधकों का हौसला बढ़ाएगा बल्कि शासन के संस्कृति और विरासत को सहेजने के प्रयासों को भी गति देगा।

डॉ यादव ने कहा कि बुंदेलखंड की धरती पावन और पवित्र है। बुंदेलखंड की धरती पर पत्थर भी चमकता है तो हीरा कहलाता है। मनुष्य चमकता है तो बुंदेला कहलाता है। वैसे ही बुंदेलखंड में नृत्य होता है तो वह अंतरराष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह कहलाता है। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय नृत्यों का सृजन भगवान की साधना के लिए किया गया है। जैसे कथकली में भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला, जीवन, और गतिविधियों को दिखाया जाता है। वहीं भगवान नटराज ने तांडव नृत्य और आनंद नृत्य का सृजन किया है। आज बने गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड में शास्त्रीय नृत्य की सतत प्रस्तुति से समय की निरंतरता को भी प्रदर्शित किया है। जिस तरह ब्रह्मांड में आकाशगंगा ब्लैक होल की ओर बढ़ती है और सौरमंडल में सूर्य एवं अन्य गृह अपनी गति से चलायमान है। समय को परमात्मा का स्वरूप माना गया है इसलिए समय का सदुपयोग जीवन में सबसे आवश्यक है।

कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम, ओडिसी नृत्यों की प्रस्तुति से बना रिकॉर्ड

गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास 19 फरवरी, 2025 को दोपहर 2:34 बजे आरम्भ हुआ जिसे 20 फरवरी 2025 दोपहर 2:43 तक नृत्यसाधकों की निरंतर प्रस्तुति से अंजाम तक लाया गया। इसके परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश के नाम एक ओर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रच दिया गया। संस्कृति विभाग द्वारा संयोजित गतिविधि में 139 नृत्य कलाकारों ने प्रतिभागिता की और निरंतर 24 घंटे 9 मिनट तक कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम, ओडिसी नृत्यों की प्रस्तुति दी। वृहद शास्त्रीय नृत्य मैराथन (रिले) की अंतिम प्रस्तुति भरतनाट्यम की थी। गिनीज टीम द्वारा इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड घोषित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ यादव को सौंपा। मुख्यमंत्री डॉ यादव के समक्ष सभी 139 नृत्य कलाकारों ने नृत्य की समवेत प्रस्तुति तराना 'अनंत' को प्रदर्शित किया।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी और सांसद खजुराहो वी.डी. शर्मा एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए ग्रुप फोटो खिंचवाया। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर खजुराहो नृत्य समारोह की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

राज्य मंत्री श्री लोधी ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ यादव के नेतृत्व में संस्कृति को सहेजने और उसे विश्व पटल पर अंकित करने के प्रयास किए जा रहे है। इन्हीं प्रयासों के क्रम में यह छठा गिनीज विश्व रिकॉर्ड बना है। राज्य मंत्री श्री लोधी ने अंतरराष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह के उद्देश्य और आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

सांसद श्री शर्मा ने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह का आयोजन बुंदेलखंड की धरती का गौरव हैं। आज बना गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड शासन के संस्कृति और कला को सहेजने के नवाचार और पहल का परिणाम है। इससे सभी कला प्रेमियों का उत्साह बढ़ेगा।

राज्य रूपंकर कला पुरस्कार 2024-25

51वें खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ अवसर पर राज्य रूपंकर कला पुरस्कार प्रदान किए गए। दत्तात्रय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार दिव्या पोरवाल को, रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार वीना सिंह को, नारायण श्रीधर बेन्द्रे पुरस्कार रश्मि कुरिल को, मुकुन्द सखाराम भाण्ड पुरस्कार नीतेश पंचाल को, देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार उज्जवल ओझा को, जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार प्रीति पोतदार जैन को, सैय्यद हैदर रजा पुरस्कार नीष सिंह को, लक्ष्मीसिंह राजपूत पुरस्कार पल्लवी वर्मा को, राममनोहर सिन्हा पुरस्कार शुभमराज अहिरवार को और विष्णु चिंचालकर पुरस्कार लकी जायसवाल को प्रदान किया गया।

आदिवर्त संग्रहालय में पांच सांस्कृतिक जनपदों की सौगात

‘आदिवर्त‘ जनजातीय लोककला एवं राज्य संग्रहालय में मध्यप्रदेश के पांच सांस्कृतिक जनपदों का लोकार्पण किया गया। सांस्कृतिक जनपदों में मालवा, निमाड़, चंबल, बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड के जीवन और संस्कृति को आकर्षक ढंग से अभिव्यक्त करते उनके घर, घरेलू वस्तुएं और लोक देवता को प्रदर्शित किया गया है। खजुराहो आने वाले विदेशी और अन्य राज्यों के पर्यटकों को जनपदों के माध्यम से प्रदेश की स्थानीय संस्कृति से परिचित कराया जायेगा।

ऊर्जा और उत्साह से भरपूर रही बाल नृत्य प्रस्तुतियां

बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और नई पीढ़ी को नृत्य के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से समारोह में पहली बार खजुराहो बाल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इसका शुभारम्भ सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना प्राची शाह, कलेक्टर छतरपुर पार्थ जैसवाल, पुलिस अधीक्षक छतरपुर अगम जैन, संचालक संस्कृति एन.पी. नामदेव और निदेशक उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी डॉ धर्मेंद्र पारे ने किया। बाल प्रतिभाओं ने ऊर्जा से भरपूर नृत्य प्रस्तुतियां दीं। इस गतिविधि के लिए परिसर में विशेष मंच बनाया गया था। पहली प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्यांगना कुमारी निकिता अहिरवार की रही। उन्होंने कृष्ण शब्दम और कृष्ण तरंगम की मनमोहक प्रस्तुति से समा बंधा। इसके बाद नाविका माहेश्वरी की भरतनाट्यम की प्रस्तुति हुई। उन्होंने पुष्पांजलि, अष्टपदी और अर्धनारीश्वर की प्रस्तुति दी। अंतिम प्रस्तुति त्वरिता जैन की रही, उन्होंने कथक नृत्य में ताल बसंत नौ मात्रा और बसंत गीत की प्रस्तुति दी।

----------------

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी