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जम्मू, 20 फ़रवरी (हि.स.)। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन श्रीमहाशिवरात्रि मनाई जाती है महाशिवरात्रि शिव भक्तों के लिये विशेष महत्व रखती हैं। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने महाशिवरात्रि के विषय में बताया शिवभक्तों का सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि है। इस त्योहार का भक्तगण पूरे साल इंतजार करते हैं और महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही शिव मंदिरों में जुटने लगते हैं। इस वर्ष सन् 2025 ई. को महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी बुधवार को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के दृष्टिकोण से शिवरात्रि पर्व चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है। पर उन सभी में सबसे महत्वपूर्ण फाल्गुन कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि होती है,फाल्गुन माह की शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन ही भगवान शिव की लिंग रूप में उत्पत्ति हुई थी। ज्योतिष शास्त्रों में इस तिथि को अत्यंत शुभ बताया गया है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी सुबह 11 बजकर 09 मिनट से शुरू हो रही है, जो 27 फरवरी सुबह 08 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए इस वर्ष महाशिवरात्रि का यह त्योहार 26 फरवरी बुधवार को ही मनाना उचित होगा।
शिवरात्रि पूजा मुहूर्त निशीथ काल पूजा मुहूर्त 24:07 से 24:57 बजे है। शिवरात्रि व्रत पारण समय सुबह 06 बजकर 35 मिनट से दोपहर 03 बजकर 03 मिनट बजे (27 फरवरी 2025, गुरुवार) रहेगा। 26 फरवरी बुधवार रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन एक से चार बार किया जाएगा। यह भक्तों पर निर्भर करता है कि वे किस तरह महादेव की पूजा करना चाहते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा