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चतरा, 20 फ़रवरी (हि.स.)। राजकीय इटखोरी महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को मां भद्रकाली मंदिर परिसर में राष्ट्रीय पटल पर इटखोरी का पुरातात्विक महत्व विषय पर संगोष्ठी का विशेष आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे और कहा कि चतरा जिले के इटखोरी के पावन भूमि पर मां भद्रकाली के आंचल तले, भगवान बुद्ध की तपोभूमि एवं जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतल नाथ स्वामी की पवित्र जन्म भूमि है। यह स्थल कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का संगम रहा है। महाने और बक्सा नदी के संगम तट पर बसे इटखोरी तीन धर्म की संगम स्थली भी है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि चतरा उपायुक्त रमेश घोलप ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर पुरातत्व विभाग रांची के सहायक अधीक्षण डॉ नीरज कुमार मिश्र ने विस्तार से इटखोरी के पुरातत्व का महत्व विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि इटखोरी एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। यहां मोर्य काल से लेकर पाल वंश तक की संस्कृतियों का अनूठा सम्मिश्रण है। यहां खुदाई से प्राप्त मूर्तियां अलग-अलग शैली में बनीं हुई है। इनमें अधिकांश मूर्तियां पालयुग की है।
उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म और वज्रयान के सिद्धांतों पर आधारित मां तारा की मूर्ति जो अत्यंत दुर्लभ है। सनातन एवं शीतल नाथ से संबंधित बहुत सारी मूर्तियां प्राप्त हुई है जो संग्रहालय में सुरक्षित है। यहां की खुदाई से प्राप्त ताम्रपत्र के द्वारा ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है। व्याख्याता विवेक आशीष ने कहा कि यहां की महत्ता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित-प्रसारित करने की आवश्यकता है।
डीसी रमेश घोलप ने कहा कि इटखोरी का इतिहास प्राचीन है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से यहां तीन दिवसीय अलग-अलग विषयों पर संगोष्ठी का आयोजन करवाया जाएगा। भद्रकाली महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ दुलार हजाम और व्याख्याता डॉ अशोक कुमार आरएनवाईएम कॉलेज बरही द्वारा लिखित वित्तीय लेखांकन नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।
मौके पर एसडीओ जहूर आलम, सिमरिया एसडीओ सन्नी राज, जिप अध्यक्ष ममता कुमारी, जिप उपाध्यक्ष बिरजू तिवारी, प्रखंड प्रमुख प्रिया कुमारी सहित अन्य उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी