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रामगढ़, 20 फ़रवरी (हि.स.)। रामगढ़ में नगर निकाय चुनाव की तैयारी अधिकारियों के स्तर से लगभग पूरी हो चुकी है। अधिकारियों की इस तैयारी के बाद छावनी परिषद क्षेत्र के नेताओं का मेयर और पार्षद बनने का सपना टूट गया। नगर निकाय चुनाव में छावनी क्षेत्र का कोई भी नेता हिस्सा नहीं ले सकता हैं।
नगर परिषद अपने ही 32 वार्ड में चुनाव संपन्न करने के तैयारी कर रहा है। इन्हीं 32 वार्ड में जातीय अध्ययन पूरा हुआ है और वोटर लिस्ट भी तैयार कर लिया गया है। जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी से संबंधित पूरा दस्तावेज निर्वाचन विभाग को भेज दिया। जिला प्रशासन द्वारा छावनी परिषद के आठ वार्डो में ना तो जातीय अध्ययन की प्रक्रिया पूरी की गई और ना ही चुनाव को लेकर किसी भी तरह की तैयारी की गई है। इसकी वजह भी साफ है की छावनी परिषद का नगर परिषद में विलय को लेकर अभी तक नोटिफिकेशन नहीं हुआ है।
जिला प्रशासन द्वारा नगर निकाय चुनाव को लेकर वोटर लिस्ट को भी अपडेट कर लिया गया है। अब किसी भी व्यक्ति का नाम उसमें नहीं जुड़ पाएगा। जानकारी के अनुसार नगर परिषद क्षेत्र के 32 वार्ड में कुल 100 बूथ बनाए गए हैं। विधानसभा चुनाव के आधार पर मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य संपन्न हो गया है। नगर परिषद के नेता जो चुनाव की तैयारी में जुटने का मन बना रहे थे, अब वह अपना नाम नगर परिषद की वोटर लिस्ट में शामिल नहीं कर पाएंगे।
रामगढ़ नगर परिषद चुनाव में 98263 मतदाता वोट डालेंगे। इनमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) में 36,306 मतदाता और पिछड़ा वर्ग में 12,102 मतदाता शामिल हैं। शेष 49855 मतदाता सामान्य वर्ग में है। जातीय अध्ययन के बाद इस बात का भी कयास लगाया जा रहा है कि 32 वार्ड में 50 फ़ीसदी से अधिक सीटें आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि कौन सा वार्ड आरक्षित होगा यह निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है।
नगर परिषद में छावनी परिषद का विलय कराने के लिए जिला प्रशासन ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। राज्य सरकार को हर बिंदु पर रिपोर्ट भी सौंप दी गई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच दर्जनों बार बैठकों का दौर चला। ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि नगर निकाय के चुनाव से पहले छावनी परिषद का विलय नगर परिषद में हो जाएगा। विलय की प्रक्रिया के कारण छावनी परिषद का भी चुनाव स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अब राज्य में नगर निकाय चुनाव नजदीक आता जा रहा है।
किसी भी समय निर्वाचन आयोग तिथि की घोषणा कर सकता है। ऐसे में रामगढ़ छावनी परिषद का चुनाव से वंचित होना, आम नागरिकों के लिए भी बड़ा झटका साबित होगा। विलय के मुद्दे के कारण छावनी परिषद में विकास का कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है। अगर इस बार भी चुनाव की प्रक्रिया में यह क्षेत्र शामिल नहीं हो पाया तो आगे भी विकास की गाड़ी यहां रफ्तार नहीं पकड़ पाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश