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धर्मशाला, 19 फ़रवरी (हि.स.)। उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को उत्तराखंड के मुकाबले केंद्र सरकार से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि ऐसी वित्तीय सहायता केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है, जो हिमाचल प्रदेश के लोगों पर कोई उपकार नहीं बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है।
बुधवार को शाहपुर में एक कार्यक्रम में भाग लेने के उपरांत पठानिया ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल की पहली बैठक में प्रदेश सरकार ने राज्य के 1 लाख 36 हजार एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की। केंद्र के पास एनपीएस के तहत प्रदेश के लगभग 9 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं, जिसे केंद्र सरकार से वापिस लौटाने का बार-बारे आग्रह किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई बार प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर कर्मचारी एवं प्रदेश हित में इस राशि को लौटाने की मांग रखी है। इस संबंध में अभी तक केंद्र की तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। केंद्र सरकार एनपीएस की जमा राशि लौटाने के बजाए प्रदेश पर कर्मचारियों को पुनः एनपीएस अथवा यूपीएस के दायरे में लाने के लिए लगातार पत्र भेज रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश पर अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा आई थी। ऐसे बुरे वक्त में भी भारत सरकार ने राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए प्रदेश के लोगों की कोई सहायता नहीं की। स्वयं केंद्रीय दल ने आपदा उपरान्त आवश्यकता आकलन किया और हिमाचल में आपदा से हुआ नुकसान 9 हजार 42 करोड़ रुपये आंका था। लेकिन केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के हितों का इस प्रकार तिरस्कार किया है कि लगभग दो वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के पश्चात आज तक प्रदेश को बतौर सहायता राशि एक रुपया भी नहीं दिया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू स्वयं भी कई बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर हिमाचल प्रदेश के हक को तुरंत जारी करने की मांग कर चुके हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया