Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
कोलकाता, 10 फरवरी (हि. स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार को राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के अभिभाषण से हुई। उन्होंने बंगाली में 11 पन्नों का भाषण पढ़ा, जिसे राज्य सरकार ने तैयार किया था। हालांकि, उनके भाषण में आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज का जिक्र नहीं होने पर भाजपा की महिला विधायकों—अग्निमित्रा पॉल, श्रीरूपा मित्र चौधरी, चंदना बाउरी, तापसी मंडल और सुमिता सिंह—ने विरोध प्रदर्शन किया।
राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी केंद्र सरकार की 'जल जीवन मिशन' योजना का नाम बदलकर 'जलस्वप्न' करने का आरोप लगाया। जैसे ही राज्यपाल ने इस हिस्से का पाठ किया, शुभेंदु अधिकारी खड़े होकर विरोध जताने लगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जानबूझकर इस योजना का नाम बदला है। इससे पहले भी ऐसा हो चुका है, जब राज्य सरकार को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी थी। अब दोबारा ऐसा होने पर शुभेंदु अधिकारी ने केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय से शिकायत करने की बात कही। उन्होंने केंद्रीय मंत्री सी. आर. पाटिल को इस संबंध में ई-मेल भी भेज दिया है और मांग की है कि यदि नाम में बदलाव नहीं किया गया तो केंद्र को इस योजना के लिए दी जाने वाली धनराशि रोक देनी चाहिए।
भाजपा विधायकों ने राज्यपाल से सवाल किया कि उनके भाषण में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज का जिक्र क्यों नहीं किया गया। भाषण खत्म होने के बाद जब राज्यपाल सदन से बाहर निकले, तो भाजपा की महिला विधायक उनके सामने नारेबाजी करने लगीं।
इससे पहले विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया था कि राज्यपाल पहले भाषण पढ़ने को तैयार नहीं थे क्योंकि इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ बातें शामिल थीं। हालांकि, राज्य सरकार ने भाषण में संशोधन किया, जिसके बाद राज्यपाल ने इसे पढ़ने पर सहमति जताई।
राजभवन ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। राजभवन के सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने वही भाषण पढ़ा, जो राज्य सरकार ने तैयार किया था। हालांकि, इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ कोई तीखी टिप्पणी नहीं थी, लेकिन यह जरूर कहा गया कि बंगाल को केंद्र से वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर