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जम्मू 01 फरवरी (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कहा है कि केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर की अनदेखी की गई है क्योंकि इस सीमावर्ती क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों में सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों, खासकर युवाओं को राहत देने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है जबकि बजट में राजनीतिक कारणों से बिहार और दिल्ली पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
बजट को बिहार और दिल्ली चुनावों पर केंद्रित बताते हुए जेकेपीसीसी ने कहा है कि इसमें जम्मू और कश्मीर जैसे सबसे ज्यादा पीड़ित क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत को नजरअंदाज किया गया है जहां बेरोजगारी अपने चरम पर है और देश में दूसरे नंबर पर है और बड़ी संख्या में युवा मामूली वेतन पर काम कर रहे हैं और नौकरी के नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं इसके अलावा यहां कोई अन्य नौकरी के अवसर उपलब्ध नहीं हैं।
जेकेपीसीसी प्रमुख श्री तारिक हमीद कर्रा ने कहा है कि लोग अब तक की सबसे बड़ी महंगाई, सभी प्रकार के अभूतपूर्व करों का सामना कर रहे हैं, बेरोजगार युवा सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरियों के अभाव में हताशा का सामना कर रहे हैं, केंद्र सरकार को जम्मू.कश्मीर के युवाओं के प्रति विशेष ध्यान देने के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्य से इसने विशेष ध्यान देने के लिए जम्मू.कश्मीर के युवाओं के वास्तविक मामले को नजरअंदाज कर दिया है। हालांकि इसने बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनकी जरूरतों पर ध्यान केंद्रित किया।
आयकर स्लैब में वेतनभोगी वर्ग के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित मामूली राहत को छोड़कर मध्यम वर्ग और गरीब लोगों को कोई राहत नहीं है जो दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं की अब तक की सबसे बड़ी मूल्य वृद्धि का सामना कर रहे हैं। आम इस्तेमाल की सभी वस्तुओं पर सभी प्रकार के अप्रत्याशित करों को कम करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है जिससे मध्यम और गरीब लोगों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई हो रही है। लोगों की आय या बचत बढ़ाने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है जिससे आय के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराए जा सकें और करों को कम किया जा सके और आम लोगों को रियायतें दी जा सकें।
मोदी सरकार सालाना दो करोड़ नौकरियां देने का वादा करके सत्ता में आई थी लेकिन अब इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि दस साल में कितनी नौकरियां दी गईं या देश में रिकॉर्ड बेरोजगार युवाओं के लिए कितनी नौकरियां पैदा की गईं। किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी, फसल बीमा योजना में सुधार का वादा किया गया था लेकिन कुछ भी पूरा नहीं हुआ। मोदी सरकार बड़े बैंक डिफॉल्टरों को 16 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज माफ कर सकती है लेकिन किसानों को कर्ज माफी और जीएसटी के तहत कर लगाए गए अधिकांश कृषि उपकरणों को छूट देने पर विचार नहीं किया। सरकार को उन किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशकों आदि पर अधिक सब्सिडी देनी चाहिए थी जिन्हें उनके उत्पादन का अच्छा रिटर्न नहीं मिल रहा है।
बजट में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं और अन्य अस्थायी कर्मचारियों की ऐसी श्रेणियों के मानदेय में वृद्धि पर विचार नहीं किया गया इसके अलावा जम्मू.कश्मीर के पीड़ित क्षेत्र में बड़ी संख्या में आकस्मिक, तदर्थ और अन्य अस्थायी उपायों पर काम करने वाले युवाओं और महिलाओं के कल्याण और नियमितीकरण के लिए विशेष सहायता प्रदान की गई।
हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी