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बलिया, 01 फ़रवरी (हि.स.)। संसद में पेश किए गए केन्द्रीय आम बजट से सबसे अधिक खुश नौकरी पेशा लोग हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को बजट प्रावधानों में 12 लाख तक की आय को टैक्स छूट का लाभ देने की जैसे ही घोषणा की, कर्मचारी और शिक्षक सरकार को धन्यवाद देने लगे।
टैक्स स्लैब में बढ़ोत्तरी की लम्बे समय से मांग चल रही थी। जिसे वर्तमान बजट सत्र में पूरा किया गया है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया में सरकारी शिक्षक अनिल सिंह ने कहा कि मोदी सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है। इससे हमारी क्रय शक्ति बढ़ेगी। बाजार को भी फायदा होगा। वहीं, यूरिया के लिए सरकार की नई पहल का किसानों दिल खोलकर स्वागत किया। किसान संतोष सिंह ने कहा कि कुल मिलाकर यह बजट संतुलित बजट है। हालांकि, सरकारी शिक्षकों का एक वर्ग ऐसा भी है जिसे और अधिक राहत की उम्मीद थी।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डा. घनश्याम चौबे ने 2025 के आम बजट को लेकर कहा कि न्यू टैक्स रिजीम के माध्यम से नौकरी पेशा लोगों को आंशिक राहत दी गई है। सरकार द्वारा इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा कम से कम एक लाख तक किया जाना चाहिए था। बाजार की तरलता के लिए भी यह आवश्यक था कि टैक्स स्लैब शून्य से चार लाख के स्थान पर कम से कम शून्य से सात लाख तक शून्य टैक्स होना चाहिए और अगले टैक्स स्लैब में और अधिक राहत देनी चाहिए थी। सरकार द्वारा न्यू टैक्स रिज्यूम को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसमें विभिन्न धाराओं में टैक्स से बचत का कोई प्रावधान नहीं है। जिससे बचत व निवेश की प्रवृति में कमी आएगी। इस बजट में शिक्षक एवं कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सम्बंधी कोई प्रावधान नहीं है।
डॉक्टर चौबे ने कहा कि बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी एफडीआई की स्वीकृति ने निजीकरण के लिए पूरा दरवाजा खोल दिया है। पीपीई मॉडल को मजबूत बनाकर कौशल विकास व मुद्रा लोन द्वारा युवाओं को रोजगार प्रदान करने का दिवास्वप्न बुना गया है। इस बजट में पब्लिक सेक्टर को मजबूत बनाने जैसा कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है। कमोबेश अर्थशास्त्री दृष्टिकोण से इस बजट की समीक्षा की जाये तो इस बजट को सामान्य बजट की संज्ञा दी जा सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी