उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दिव्यांगजनों के लिए बेहतर सुविधा की आवश्यकता पर दिया जोर
चेन्नई, 31 जनवरी (हि.स.)। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज विकलांग(दिव्यांग) लोगों की सहायता के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया तथा उनकी पूर्ण क्षमता का एहसास करने में सहायता करने के लिए उन्हें सहारा देने तथा करुणा और भावनात्मक समर्थन की आवश
Vice President Jagdeep Dhankhar Emphasizes Need for Enhanced Support for Disabled Individuals


चेन्नई, 31 जनवरी (हि.स.)। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज विकलांग(दिव्यांग) लोगों की सहायता के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया तथा उनकी पूर्ण क्षमता का एहसास करने में सहायता करने के लिए उन्हें सहारा देने तथा करुणा और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

चेन्नई में राष्ट्रीय बहुदिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीएमडी) में बधिर-अंधता वकालत पर तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर धनखड़ ने दिव्यांग व्यक्तियों की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को सामने लाने के लिए विशेष शिक्षकों, पाठ्यक्रम और कार्यप्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सम्मान देने के लिए उन्हें दिव्यांगजन के नाम से भी जाना जाता है।

उन्होंने भावनाओं को महसूस करने पर ध्यान केंद्रित किया और जोर देते हुए कहा, हमें न केवल उनका साथ देना चाहिए बल्कि भावनात्मक रूप से उनका समर्थन भी करना चाहिए। हमें उनकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना चाहिए और उनके लिए एक कुशल, निर्बाध और सकारात्मक प्रणाली बनानी चाहिए। उन्हें अकेलेपन का सामना नहीं करना चाहिए बल्कि उनके साथ रहना चाहिए। कंपनी, जिससे दोनों पक्षों को लाभ होता है।

उन्होंने सामुदायिक जिम्मेदारी की चर्चा करते हुए कहा, समुदाय की भागीदारी सहानुभूति पर आधारित होनी चाहिए, सहानुभूति पर नहीं। हमारे पास एक समान अवसर होना चाहिए, जहां वे संगीत, कला, खेल और क्रीड़ा के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर सकें।, उपाध्यक्ष धनखड़ ने कहा। जगदीप धनखड़ ने कहा, हमें अपने दिव्यांगजनों की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को सामने लाने के लिए एकजुट होना होगा। इसके लिए विशेष शिक्षकों, पाठ्यक्रम और कार्यप्रणाली की आवश्यकता है।

धनखड़ ने विकलांग लोगों को सशक्त बनाने में हुई प्रगति की सराहना की तथा शिक्षा में आरक्षण बढ़ाने तथा प्रतिष्ठित सेवाओं तक पहुंच जैसे महत्वपूर्ण उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने पैराओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में भारत की बढ़ती मान्यता पर भी प्रकाश डाला और कहा, इतिहास ने हमें दिखाया है कि विकलांगता उपलब्धि में कोई बाधा नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने दिव्यांग लोगों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भावनात्मक सहायता प्रणालियों के अधिक उपयोग का आह्वान किया। उन्होंने सहानुभूति पर नहीं, बल्कि सहानुभूति पर आधारित सामुदायिक सहभागिता के महत्व पर बल दिया तथा गैर सरकारी संगठनों और कॉर्पोरेट्स से उनके विकास के लिए प्रभावशाली पहलों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ आर बी चौधरी