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जयपुर, 10 जनवरी (हि.स.)। साल का पहला रवि पुष्य नक्षत्र 9 मार्च और 25 मार्च को गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा। जनवरी से दिसंबर तक 114 सर्वार्थ सिद्धि, 27 अमृत सिद्धि, 2 गुरु पुष्य और 2 रवि पुष्य नक्षत्र और 27 त्रिपुष्कर योग रहेंगे। यानी कुल मिलाकर 365 दिनों में से 172 दिन शुभ योग रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि खरीदारी के लिए विशेष शुभ माना जाने वाला रवि पुष्य नक्षत्र साल में दो बार आएगा। इसी प्रकार गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग भी दो बार बनेगा जबकि 114 दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और 38 दिन अमृत सिद्धि योग का संयोग रहेगा। इन दिनों मलमास के दौरान शुभ कार्यों पर विराम है। अब 16 जनवरी से विवाह सहित शुभ कार्यों की शुरुआत होगी जो 7 मार्च होलाष्टक से पहले तक रहेगी। 15 मार्च से 14 अप्रैल के बीच में मीन संक्रांति मलमास रहेगा। फिर सावों की शुरुआत 15 अप्रैल से होगी जो 4 जून तक रहेगी। 11 जून से 4 जुलाई तक गुरु का तारा अस्त रहेगा। 6 जुलाई चातुर्मास भी शुरू हो जाएंगे। इसके बाद सीधे 1 नवंबर तुलसी एकादशी से देव उठने के बाद विवाह मुहूर्त की स्थितियां बनेंगी।
आठवां नक्षत्र होता है पुष्य: डॉ. मिश्रा के अनुसार आकाश मंडल में 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें पुष्य नक्षत्र को सर्वाधिक शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र को तिष्य और आमरेज्य भी कहते हैं। इन 27 में आठवां नक्षत्र पुष्य होता है। इस नक्षत्र का सर्वाधिक महत्व रविवार और गुरुवार को होता है। पुष्य नक्षत्र शनि, गुरु और चंद्र का प्रभाव रहने से यह खरीदारी और नए कार्य की शुरुआत करने के लिए काफी मंगलकारी है।
गुरु-पुष्य में छोटे बच्चों को विद्यारंभ करवाना अच्छा माना गया है। इस दिन बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा का काम भी शुरू किया जा सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश