वन्यजीव बचाने के करने होंगे सामूहिक प्रयास
राष्ट्रीय वन्य जीव दिवस (04 सितंबर) पर विशेष डॉ. रमेश ठाकुर वन्य जीव प्रकृति का उपहार ही नहीं, अमूल्य धरोहर से बढ़कर हैं। अफसोस कि वन्य जीवों की विभिन्न प्रजातियां दिनों दिन लुप्तप्राय हो रही हैं। हजारों प्रजातियों का तो अबतक नामोनिशान मिट चुका है।
डॉ. रमेश ठाकुर


राष्ट्रीय वन्य जीव दिवस (04 सितंबर) पर विशेष

डॉ. रमेश ठाकुर

वन्य जीव प्रकृति का उपहार ही नहीं, अमूल्य धरोहर से बढ़कर हैं। अफसोस कि वन्य जीवों की विभिन्न प्रजातियां दिनों दिन लुप्तप्राय हो रही हैं। हजारों प्रजातियों का तो अबतक नामोनिशान मिट चुका है। जंगल के बेजुबान जानवरों की संख्या विलुप्त होने से कैसे बचे, उनका संरक्षण कैसे किया जाए, इन्हीं को ध्यान में रखकर हर साल 4 सितंबर को पूरे देश में ‘राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस का प्रचलन वर्ष 2005 में ‘कोलीन पैगे’ नामक एक वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ व परोपकारी व्यक्ति द्वारा की गई थी। वहीं, अगले साल यानी 2006 में वन्यजीव संरक्षणवादी ‘स्टीव इरविन’ के निधन के बाद उनकी स्मृति में यह खास दिवस मनाया जाता है।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 48.5 फीसदी वन्य प्रजातियों की आबादी में कमी आ चुकी है। इन प्रजातियों की कुल संख्या 16,150 है जिनमें पक्षियों की 5412 प्रजातियां, उभयचरों की 3135, मछलियों की 2631 प्रजातियां, स्तनधारियों की 1885 और कीटों की 1622 प्रजातियां शामिल हैं। जबकि, सरीसृपों की 1465 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।

वन्यजीवों की संख्या घटने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। अव्वल, वनों का तेजी से कटना। दूसरा, उनके भोजन की उपलब्धता में कमी आना, जिस कारण उनका वनों से बाहर आना और शिकारियों द्वारा शिकार हो जाना। उचित आवास का न होना, अत्यधिक वन संपदा का दोहन, जंगलों में बढ़ता प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की मार भी जंगली जीव झेल रहे हैं। पशु तस्कर अब चुन-चुनकर जंगली जानवरों का शिकार करने लगे हैं क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जंगली जानवरों की खाल, दांत या उनके अन्य अंगों की भारी डिमांड है। ग्राहक तस्करों को मुंहमांगी कीमत देते हैं जिस कारण तस्कर वन्य जीवों का शिकार करने पर आमादा रहते हैं।

लुप्तप्राय जीवों और उनके संरक्षण के लिए चल रहे प्रयासों में और तेजी लाना ही आज के खास दिन का मकसद है। वन्य जीव प्रजातियों के महत्व और उनकी रक्षा-सुरक्षा के लिए सभी को भागीदार होना चाहिए। आज पशुओं की सुंदरता और उनके मूल्यों को पहचानने का दिन है। कार्यक्रमों के जरिए जनमानस को याद दिलाना होता है कि मानव जीवन में वन प्रजातियों की क्या भूमिका होती है। दुख इस बात का है कि लाख कोशिशों के बावजूद मानवीय गतिविधियां नहीं रुकती और पर्यावरण में होते नित नए परिवर्तन ने भी वन्य पशु-पक्षियों का जीना मुहाल किया हुआ है।

राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस का उद्देश्य व्यक्तिगत प्रयासों से लेकर वैश्विक पहलों तक, वन्यजीवों के संरक्षण में मदद करने वाले कार्यों को प्रोत्साहित करना होता है। ये दिन हमें अपने प्राकृतिक परिवेश के प्रति अपनी जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है। वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में भागीदारी को प्रोत्साहित करना और चिड़ियाघरों, अभयारण्यों और वन्यजीव संरक्षण के लिए समर्पित संगठनों के काम का समर्थन भी आज का दिन करता है।

‘राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस’ के अलावा 3 मार्च को मनाया जाने वाला ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ भी जंगली जानवरों की रक्षा के लिए लोगों को आह्वान करता है कि भावी पीढ़ियां पृथ्वी की जैव विविधता का आनंद ले सके, इसलिए वन्य जीवों को संरक्षित करना होगा। आज के खास दिन का मकसद, वैश्विक स्तर पर वन्यजीवों के सामने आने वाली प्राकृतिक आपदाएं, बीमारियों व अन्य गंभीर समस्याओं के प्रति जागरूकता को बढ़ाना भी होता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मानवीय गतिविधियां वन्य जीवों के लिए मौजूदा वक्त में सबसे बड़ा खतरा हैं। सरकारी स्तर पर जैव विविधता के महत्व और प्राकृतिक वन्य जीव संरक्षण पर अब और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश