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- रमेश शर्मा
बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ आतंकवादी और कट्टरवादी संगठन एकजुट हो गये हैं। हिन्दुओं पर धर्मान्तरण का दबाब बनाया जा रहा है। चटगाँव में तो एक हिन्दु परिवार को अंतिम संस्कार करने से भी रोका गया। इन कट्टरपंथी संगठनों के सिर पर पाकिस्तान का हाथ है। जबकि चीन ने कट्टरपंथ इस्लामिक प्रतिनिधियों को अपने यहाँ दावत पर बुलाया है।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के साथ हिन्दुओं पर हमले आरंभ हो गये थे जो अब चार महीने बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहे। हिन्दुओं के धर्मस्थलों पर लगातार हो रहे हमलों में बांग्लादेश में सक्रिय आतंकवादी संगठन, इस्लामिक धर्मगुरु और मुस्लिम कट्टरपंथी एकजुट हैं। इन्हें कथित साम्यवादी शक्तियों का भी समर्थन है। बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध यह गठबंधन ठीक उसी प्रकार है जैसे अगस्त 1946 मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन के समय देखा गया था। हिन्दुओं पर हमलों का वह दौर भी लंबा चला था और बंगाल व पंजाब में हिंसा भारत विभाजन तक जारी रही थी। वैसी ही हिंसा अब दिख रही है। गाँव-बस्ती की बात नहीं बांग्लादेश की जेलों में बंद हिंदू भी सुरक्षित नहीं रहे। जेल के भीतर भी हिंदुओं को निशाना बनाने की खबरें आ रहीं हैं।
हसीना सरकार के कार्यकाल में बांग्लादेश की विभिन्न जेलों में लगभग 700 आतंकवादी बंद थे, जो रिहा कर दिये गये। लगता है हिन्दुओं पर हमलों की यह तैयारी बहुत पहले से कर ली गई थी। इसकी किसी को भनक तक न लगी। बंगलादेश में सत्ता परिवर्तन का अभियान छात्र आंदोलन के नाम पर आरंभ हुआ था जिसमें हिन्दू छात्र भी सम्मिलित थे। लेकिन जैसे ही शेख हसीना ने बांग्लादेश देश छोड़ कर भारत में शरण ली, उसी दिन से हिंदुओं पर हमले शुरू हो गये। सबसे पहले भीड़ ने उन हिन्दू छात्रों को निशाना बनाया था जो आंदोलन में शामिल थे। उसके बाद नगरों और गांवों में हिन्दुओं पर हमले शुरू हुये। इन चार महीनों में हमलों की कितनी घटनाएँ हुईं इसका सही आंकड़ा नहीं है, चूंकि अधिकांश स्थानों पर स्थानीय पुलिस हमलावरों से मिली होती है। मीडिया में ढाका से कुछ वीडियो तो ऐसे भी आये जिनमें पुलिस की ड्रेस पहने व्यक्ति भी लूटपाट करते और महिलाओं को घसीटते दिखाई दे रहे हैं। वहीं, चटगाँव के एक वीडियो में भीड़ ने हिन्दुओं को मृतक का अंतिम संस्कार करने से रोका और हिन्दू परिवार को अपने परिजन का अग्निदाह के बजाय उन्हें धरती में दफ्न करना पड़ा। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे ऐसे अमानवीय और क्रूरतम हमलों की कहानी बयान करने वाले कई वीडियो सामने आये हैं। इनमें से कुछ तो भारत के राष्ट्रीय चैनलों ने दिखाये भी गए हैं। इससे भारत में विरोध के स्वर उभरे तो अब बांग्लादेश सरकार ने ऐसी वीडियो पर रोक लगा दी है। पिछले तीन-चार दिनों से ऐसे वीडियो भारत नहीं आ पा रहे लेकिन हिन्दुओं पर हमलों घटनाएँ निरंतर घट रही हैं।
कट्टरपंथी संगठन चला रहे बांग्लादेश की सरकार
बांग्लादेश में जिस प्रकार हिन्दुओं और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, यह सामान्य नहीं है। यह सबकुछ आतंकी और कट्टरपंथी संगठनों की योजना से हो रहा है। हमलों से स्पष्ट है कि बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार नाममात्र की है। परदे के पीछे इसका संचालन कट्टरपंथी संगठन कर रहे हैं। इसकी झलक उसी दिन मिल गई थी जब सरकार संभालते ही मोहम्मद युनुस ने कुछ आतंकी संगठनों से प्रतिबंध हटाया था। इन सभी आतंकी संगठनों के सिर पर पाकिस्तान और चीन, दोनों का हाथ है इसीलिए युनूस सरकार आंखें मूंदकर बैठी है। इन कट्टरपंथी संगठनों में जमात-ए-इस्लामी, जमात-उल-मुजाहिदीन, मुस्लिम ब्रदरहुड और हिफाजत-ए-इस्लाम शामिल हैं। मीडिया की खबरों के अनुसार ढाका के इस्कान मंदिर पर हमले का आदेश हिफाजत-ए-इस्लाम ने दिया था। वहीं, जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश के हिन्दू मंदिरों को तोड़ने की खुली घोषणा कर रखी है। जमात-ए-इस्लामी के बारे में माना जाता है कि यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम करता है और इसका नेटवर्क भारत में भी है। जबकि जमात-उल-मुजाहिदीन पूरे बांग्लादेश में फैला है। बताया जाता है कि इस संगठन में दस हजार लड़ाके और एक लाख से अधिक कट्टरपंथी जुड़े हैं। इससे जुड़े लोगों में आधुनिक उच्च शिक्षित युवाओं से लेकर धर्मगुरु तक शामिल हैं। इस संगठन ने एक ऐसी विंग बना रखी है जिसके सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों और एनजीओ में जुड़े हैं। इस संगठन के बारे में यह भी कहा जाता है भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर करने के लिये भारत में ड्रग्स और नकली नोटों का कारोबार भी करता है। इन सभी संगठनों के लोग खुलेआम सड़कों पर देखे जा रहे हैं और हिन्दुओं पर हमलों के लिये उकसा रहे हैं।
कट्टरपंथियों को चीन का भी समर्थन
जिस प्रकार भारत में वामपंथी संगठन सनातन पर हमला करने वालों को समर्थन देते हैं, उसी प्रकार बांग्लादेश में सक्रिय कथित वामपंथी संगठन और साम्यवादी चीन भी इन कट्टरपंथियों का खुल कर समर्थन कर रहा है। पिछले दिनों बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने ढाका में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया इसमें बंगलादेश के सभी इस्लामिक संगठनों को आमंत्रित किया। इनमें अधिकांश वे थे, जिनके हिन्दुओं पर हमला करने के लिये उकसाने वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें एक प्रमुख नाम बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी प्रमुख शफिकुर्रहमान का है। हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को जमात-ए-इस्लामी जुड़े लोगों का हाथ भी माना जाता है। यह संगठन पाकिस्तान समर्थक है। शेख हसीना की सरकार ने इसपर बैन लगा दिया था। यूनुस सरकार ने पदभार संभालते ही जमात-ए-इस्लामी सहित मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे उन सभी कट्टरपंथी संगठनों से प्रतिबंध हटा लिया जिनपर पिछली सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन द्वारा ढाका में बुलाये गये सम्मान समारोह में इन सभी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इसी बैठक में इन सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को चीन यात्रा का निमंत्रण दिया गया। यह निमंत्रण चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से था। यह निमंत्रण पर बांग्लादेश से इस्लामिक संगठनों का चौदह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन यात्रा पर रवाना हो गया। जो इसी सप्ताह लौटने वाला है। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी के केंद्रीय नायब-ए-अमीर और पूर्व संसद सदस्य सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर कर रहे हैं। इनके अतिरिक्त इसमें खलीफा मूवमेंट, खलीफा काउंसिल, इस्लामिक ऑर्डर पार्टी के प्रमुख सदस्य भी शामिल हैं। बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी तथा इस्लामिक संगठनों के प्रतिनिधियों को पहली बार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने आमंत्रित किया है। इससे पहले पिछले बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन यात्रा करके लौटा है। इस प्रतिनिधिमंडल को भी चीन की सत्ता रूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने ही आमंत्रित किया था ।
भारत के लिये नई चुनौती
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे ये हमले केवल बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहने वाले। ये भारत के लिये नई चुनौती की दस्तक दे रहे हैं। जिन आतंकी संगठनों के इशारे पर बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है उनमें से कुछ का गुप्त नेटवर्क भारत में भी है, दूसरा इन संगठनों को चीन का भी समर्थन है। बांग्लादेश के कथित छात्र आंदोलन की तरह भारत में शासन व्यवस्था को भीड़ तंत्र में बदलने के प्रयास होने लगे हैं। जिस प्रकार बांग्लादेश पाकिस्तान और चीन से हथियार एकत्र कर रहा है, वह भी साधारण नहीं है। इसे देखकर न केवल भारत सरकार अपितु भारत के प्रत्येक सामान्य जन को अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश