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लखनऊ, 22 दिसम्बर (हि.स.)। ध्यान के माध्यम से बुद्धि को शुद्ध व प्रखर बनाया जा सकता है। लम्बा जीवन जीने के लिए ध्यान अत्यंत महत्वपूर्ण साधन बताया गया है। ध्यान की अनेक विधियों में से किसी एक विधि का भी अगर व्यक्ति जीवन में अपना ले तो कई बीमारियों से बच सकता है। यह जानकारी प्रख्यात ध्यान योग विशेषज्ञ डॉ० जीतेन्द्र आर्या पुणे ने दी। वह प्राकृतिक चिकित्सा, योग एवं नैसर्गिक चिकित्सा और इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में ध्यान योग विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को सम्बोधित कर रहे थे।
इस वेबिनार में बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के योग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० दीपेश्वर सिंह ध्यान के वैज्ञानिक स्वरुप का वर्णन करते हुए बताया कि मन अत्यंत चंचल एवं गतिमान है, जिसे नियंत्रण में करना अत्यंत आवश्यक है। यदि मन को नियंत्रित नहीं किया गया तो सभी दुखों का कारण बनता है। चूँकि मानसिक विकार उत्पन्न होने से बुद्धि का नाश होने लगता है और यदि बुद्धि का नाश हो जाये तो व्यक्ति का नाश होना तय है। इसलिए ध्यान के माध्यम से बुद्धि को शुद्ध व बुद्ध बनाया जा सकता है ।
योगऋषि डाॅ० ओम प्रकाश आनंद ने ध्यान को परिभाषित करते हुए बताया कि सिर्फ आँख बंद करना ही ध्यान नहीं है। ज़ब तक किसी योग्य ध्यान योगविद का साथ न मिले तों इसे कर पाना कठिन कार्य है। डॉ. एस. एल. यादव वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ आईआईटी कानपुर ने अच्छे विचारों से मन के स्नान को ध्यान बताया एवं किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिस यान (साधन) का इस्तेमाल किया जाता है, उसे ध्यान कहते हैं। ध्यान, अष्टांग योग का सातवाँ पायदान है। इसलिए उसके पहले के पायदान (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा) का अगर अभ्यास किया जाये तो ध्यान करना आसान हो जाता है।
डॉ. श्यामलीं चक्रवर्ती ने मन्त्रोंचारण के साथ एवं डॉ उर्मिला यादव ने शंख ध्वनि से कार्यक्रम की शुरुआत की। वेबिनार में डॉ. नन्दलाल जिज्ञासु वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ बलरामपुर हॉस्पिटल लखनऊ, डॉ० कृष्ण कुमार बिहार, डॉ० एल०के०रॉय, डाॅ.अनिल आनंदम, डाॅ० पूनम रानी, डाॅ० सुमिता रॉय, डाॅ० सोनाली धनवानी, डाॅ० सुदीप कुमार, डाॅ० मीनू मोहन, डाॅ० आशीष कुमार, डाॅ० सरिता दुबे ने अपने विचार रखे।
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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन