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राजगढ़,12 दिसम्बर (हि.स.)।श्रीमद्भागवत गीता में पहले श्लोक की शुरुआत धर्म से वहीं अंतिम श्लोक नीति के पालन का संदेश देता है। इसका आशय यह है कि हम धर्म से चलेंगे तो नीति का मार्ग स्वयं ही प्रशस्त होगा। गीता का मुख्य सार धर्म के मार्ग पर चलना सिखाता है। यह बात पं.सुदर्शन शर्मा ने बुधवार को पारायण चैक राजगढ़ पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को संबोधित करते हुए कही।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक खिलचीपुर हजारीलाल दांगी ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म की रक्षा का उपदेश दिया है वहीं कलयुग में सनातन धर्म की रक्षा के लिए गीताजी का अध्ययन करना आवश्यक है। इस अवसर पर कलेक्टर डाॅ.गिरीशकुमार मिश्रा ने कहा कि गीताजी के महात्म्य एवं गीता दर्शन को आमजन तक पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। गीता के उपदेशों को जीवन में उतारें एवं उसके दर्शन को आत्मसात करें। जबभी हम गीता का अध्ययन करते है तो हमें कुछ नया सीखने को मिलता है।
इस दौरान नरसिंहगढ़ के संस्कृत विधालय के बटुकों ने गीता के अध्याय 11,12,15 का सस्वर पाठ किया। कार्यक्रम में सीएम डाॅ. मोहन यादव के आतिथ्य में भोपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का सीधा प्रसारण किया गया। इस अवसर पर पूर्व विधायक हरिचरण तिवारी, रघुनंदन शर्मा, जिला पंचायत सीईओ महीपकिशोर तेजस्वी, पं.जगदीश शास्त्री सहित धर्मप्रमी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / मनोज पाठक