जो राजसत्ता अपनी प्रजा की हर समस्या का समाधान करें, उसे पुण्यश्लोक कहा गया : मुकुन्द
- आरएसएस के सह सरकार्यवाह लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जयंती की त्रिशताब्दी समारोह में हुए शामिल बोले- लोकमाता ने जो लोककल्याणकारी कार्य किए वे अभूतपूर्व हैं वाराणसी, 11 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह मुकुंद ने कह
आरएसएस के सह सरकार्यवाह लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जयंती समारोह में


आरएसएस के सह सरकार्यवाह लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जयंती समारोह में


- आरएसएस के सह सरकार्यवाह लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जयंती की त्रिशताब्दी समारोह में हुए शामिल

बोले- लोकमाता ने जो लोककल्याणकारी कार्य किए वे अभूतपूर्व हैं

वाराणसी, 11 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह मुकुंद ने कहा कि जो राजसत्ता अपनी प्रजा की हर समस्या का समाधान करें, उसे पुण्यश्लोक कहा गया। न्यूनतम सुविधा में उत्तम सुशासन का कालखण्ड लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का था। अहिल्याबाई के प्रशासनिक नेतृत्व को देखते हुए ’लेस गवर्नमेंट मोर गवर्नेंस’ की सूक्ति चरितार्थ होती प्रतीत होती है। सह सरकार्यवाह बुधवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जयंती की त्रिशताब्दी समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में बतौर मुख्य वक्ता सह सरकार्यवाह ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के विशाल व्यक्तित्व को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि लोकमाता के जीवन से मातृत्व, नेतृत्व और कृतित्व धर्म की शिक्षा भी लेनी चाहिए। आज के समय में ’मातृत्व’ में होते क्षरण को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि लोकमाता को याद किया जाए। उन्होंने जो लोककल्याणकारी कार्य किए वे अभूतपूर्व हैं। भारतीय समाज में विश्वास और आत्मसम्मान जगाने का कार्य लोकमाता ने मंदिरों और घाटों का पुनरोद्धार कर किया। यूरोपीय स्त्रियों और भारतीय स्त्रियों को तुलनात्मक रूप में देखने से पता चलता है कि भारतीय महिलाओं की स्थिति राजनीति, प्रशासन और धार्मिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक उत्तम थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं अहिल्याबाई होलकर हैं। स्त्री और पुरुष की समानता की बात कर उन्होंने कहा कि इस समाज को पुरुषत्व की जितनी आवश्यकता है, उतनी ही मातृत्व की भी। आज अर्थशास्त्री बताते हैं कि राष्ट्र की जीडीपी में महिलाओं का भरपूर योगदान हैं। सह सरकार्यवाह ने कहा कि वर्तमान में सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक लाख तीस हजार से अधिक सेवा कार्य चल रहे हैं। जिनमें महिलाएं आगे हैं। इन कार्यों में निर्णय लेने की क्षमता पुरुषों की तुलना में मातृशक्ति में कहीं अधिक सुदृढ़ है। माताएं संवेदनशीलता, एकाग्रता में पुरुषों से कहीं आगे हैं। उन्होंने गीता जयन्ती पर श्रीमद्भगवत्गीता के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा कि अर्जुन को समझाते हुए श्रीकृष्ण भगवान कहते हैं ‘‘यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरूते लोकस्तदनुवर्तते।। अर्थात श्रेष्ठ जन अपने जीवन में जो जो आचरण करते हैं समान्यजन उनके जीवन से प्रेरित होते हैं। समारोह में

विशिष्ट अतिथि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदय सिंह राजे होलकर ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्याबाई का जीवन साधारण नहीं रहा। अपने ही जीवन काल में उन्हें सास, श्वसुर, पति, पुत्र-पुत्री सभी की मृत्यु देखनी पड़ी। पति के साथ सती होने से श्वसुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें रोका। घाट, धर्मशाला का निर्माण अथवा मन्दिरों का जीर्णोंद्धार लोकमाता ने अपने स्त्रीधन से किया था। देवी अहिल्याबाई होलकर कुशल प्रशासिका के साथ आध्यात्मिक महिला भी थी। उनके हाथ की लिखी श्रीमद्भागवत गीता भोपाल संग्रहालय में संरक्षित है। उन्होंने बताया कि लोकमाता ने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किये जो 300 वर्ष बाद भी आज याद किए जा रहे हैं और किए जाते रहेंगे। समारोह में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. माधुरी कानिटकर ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए। देश का भविष्य युवा पीढी के हाथों में ही होता है। कार्यक्रम की समारोह की अध्यक्षता लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जयन्ती समारोह समिति की अध्यक्ष प्रो.चंद्रकला पाडिया ने किया। कार्यक्रम का आगाज देवी अहिल्या बाई होलकर के तैल चित्र और भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर अतिथियों ने पुष्पार्चन तथा दीप प्रज्वलन से किया। मंगलाचरण वेंकटरमन घनपाठी तथा संगीत मंचकला संकाय की छात्राओं ने बीएचयू का कुलगीत गाया। मंचस्थ अतिथियों का परिचय एवं स्वागत प्रान्त सम्पर्क प्रमुख दीनदयाल पाण्डेय ने किया। आयोजन समिति की सदस्या डॉ. नीरजा माधव ने विषय प्रस्तावना रखा।

वो अहिल्या है नृत्य नाटिका से जीवन्त हुआ लोकमाता का जीवन दर्शन

समारोह में निवेदिता शिक्षा सदन एवं संत अतुलानंद के छात्र- छात्राओं ने देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित लघु नाटिकाओं का मंचन किया। छात्राओं ने लोकमाता के जीवन की सशक्त प्रस्तुति दी। संत अतुलानन्द के ही विद्यार्थियों ने लघु नाटिका के जरिए काशी विश्वनाथ मन्दिर के स्थापना के प्रसंग को प्रदर्शित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रान्त की जागरण पत्रिका ’चेतना प्रवाह’ के लोकमाता अहिल्याबाई होलकर पर केंद्रित विशेषांक का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही गुंजन नंदा की पुस्तक देवी अहिल्याबाई : महेश्वर से मोक्षदायिनी काशी तक का भी लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में स्वतंत्रता भवन की वीथिका में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर से संबंधित चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। समारोह का संचालन डॉ. भावना त्रिवेदी और गुंजन नंदा ने संयुक्त रूप से और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने किया।

समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौसेवा संयोजक अजित महापात्रा, अ.भा.सामाजिक समरसता संयोजक रवीन्द्र किलकोले, प्रज्ञा प्रवाह के अ.भा.कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष , क्षेत्र सेवा प्रमुख यृद्धवीर , क्षेत्र पर्यावरण संयोजक अजय , प्रान्त संघचालक अंगराज , प्रान्त प्रचारक रमेश आदि की उपस्थिति रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी