Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
देहरादून, 30 नवंबर (हि.स.)। देहरादून में चल रहे भारतीय अपराध साहित्य महोत्सव (सीएलएफआई) 2024 के दूसरे दिन शनिवार को अपराध, न्याय और साहित्य के बीच के गहरे और जटिल संबंधों पर चर्चा के लिए दर्शकों का जबरदस्त उत्साह देखा गया। हयात सेंट्रिक में आयोजित इस कार्यक्रम ने लेखकों, फिल्म निर्माताओं, कानून प्रवर्तन अधिकारियों और पत्रकारों को एक मंच पर लाकर आपसी संवाद और विचार-विमर्श को प्रेरित किया। दिन का आरंभ एक बहुचर्चित सत्र “सिद्धू मूसेवाला को किसने मारा? लॉरेंस बिश्नोई एंगल” से हुआ, जिसमें जुपिंदरजीत सिंह और सिद्धांत अरोड़ा ने संगठित अपराध की गहराईयों पर चर्चा की। इसके बाद “स्मरणीय हैं विजय रमन” सत्र ने दिवंगत पुलिस अधिकारी विजय रमन के जीवन और कार्यों को सम्मानित किया।दोपहर में, “बंदूक, हिम्मत और कलम - मिर्जापुर के लेखक से बातचीत” सत्र ने दर्शकों को अपराध कथा की लेखन प्रक्रिया के रहस्यों से अवगत कराया। साथ ही “प्रॉक्सी वॉर्स-आईएसआई और अन्य संगठनों के खतरनाक खेल” सत्र में अशोक कुमार ने वैश्विक खुफिया रणनीतियों की पड़ताल की।महोत्सव के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि यह फेस्टिवल केवल साहित्य और अपराध पर चर्चा का मंच नहीं है, बल्कि एक ऐसा प्रयास है जो समाज में सार्थक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है। अन्य उल्लेखनीय सत्र“डिटेक्टिव्स डेन डिस्कशन”: देहरादून में हुई घटनाओं पर अनूप नौटियाल और एसएसपी देहरादून के साथ चर्चा।“मैडम कमिश्नर”: मीरान बोरवणकर की पुस्तक पर विशेष चर्चा।“फैंग्स ऑफ डेथ”: केरल स्नेकबाइट मर्डर पर आधारित पुस्तक पर गार्गी रावत के साथ संवाद।आगामी पुस्तक “कोडनेम स्टैलियन” का मुखपृष्ठ अनावरण।पटकथा लेखन पर आकाश खुराना की कार्यशाला।सुरेंद्र मोहन पाठक और नितिन उपाध्याय के बीच संवाद।
दिन का समापन हल्के-फुल्के सत्र “अंडरकवर ह्यूमर-व्हाई कॉप कैरेक्टर्स शाइन इन स्लैपस्टिक कॉमेडी” के साथ हुआ। कविता कौशिक, अशोक कुमार और मानसलाल ने पुलिस अधिकारियों के मानवीय और हास्यपूर्ण पक्ष पर प्रकाश डाला। सीएलएफआई 2024 का दूसरा दिन हंस फाउंडेशन, उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद (यूएफडीसी) और यूपीईएस के सहयोग से बेहद सफल रहा। यह महोत्सव साहित्य और अपराध रोकथाम के बीच रचनात्मक तालमेल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण