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गोरखपुर, 13 नवंबर (हि.स.)। लिंग आधारित भेदभाव दूर करके न केवल सामाजिक खुशहाली लाई जा सकती है, बल्कि मातृ शिशु मृत्यु दर कम करने में भी इसकी अहम भूमिका है। किशोरियों की असमय मृत्यु रोकने के लिए जरूरी है कि लिंग आधारित भेदभाव न हो । यह संदेश शहरी समन्वय समिति की बैठक में लैंगिक समानता संबंधित संवेदीकरण कार्यक्रम के दौरान दिये गये । विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक शार्ट फिल्म के जरिये सभी प्रतिभागियों को लैंगिक समानता और स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर परिणाम के बीच के महत्वपूर्ण कड़ी को दिखाया गया । बैठक का आयोजन स्वयंसेवी संस्था पीएसआई इंडिया के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग ने सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार में मंगलवार को किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी ने किया । संवेदीकरण की प्रस्तुति पीएसआई इंडिया संस्था की राज्य प्रतिनिधि इप्शा सिंह ने की। इस मौके पर एनयूएचम कोआर्डिनेटर सुरेश सिंह चौहान, डीईआईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना व अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधिगण भी मौजूद रहे।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने बताया कि बैठक के दौरान शार्ट फिल्म के जरिये मिसेज एक्स की कहानी से प्रभावकारी संदेश दिया गया। बताया गया कि अगर महिला को विवाह और गर्भधारण के निर्णय में लैंगिक समानता दी जाए तो कम उम्र में गर्भधारण और अनचाहे गर्भ से होने वाली मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है। साथ ही गर्भावस्था में खानपान संबंधित लैंगिक भेदभाव को रोक कर मां को प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं से बचा कर मातृ शिशु मृत्यु दर को रोकने में मदद मिलेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय